साथ चाहिए तुम्हारा
इन्हीं चूड़ियों सा
जो संग रहें तो खनकती हैं
उतरें तो मौल जाती हैं
जब सजती हैं किसी कलाई पर
तो सूनापन ढाँप देती हैं
और कोरे हाथ खिल उठते हैं
हास्य परिहास से
साथ चाहिए तुंम्हारा
इन्हीं चूड़ियों सा
by me मनीषा
इन्हीं चूड़ियों सा
जो संग रहें तो खनकती हैं
उतरें तो मौल जाती हैं
जब सजती हैं किसी कलाई पर
तो सूनापन ढाँप देती हैं
और कोरे हाथ खिल उठते हैं
हास्य परिहास से
साथ चाहिए तुंम्हारा
इन्हीं चूड़ियों सा
by me मनीषा
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