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Monday, August 15, 2016

नेताजी

नेताजी से पूछ बैठा
पंद्रह अगस्त की पूर्व सन्ध्या पर एक पत्रकार
नेताजी आपके राज में विकास की स्थिति बतलाइये
मुस्कुरा के बोले नेताजी
दो ही बरस में मेरे घर में हुआ  सुपुत्र विकास
और उसके एक ही साल में आई है पुत्री
नाम रक्खा है उसका तरक्की
आप अगले प्रश्न पर आइए
पूछा फिर  ज़रा ज़ोर दे कर वह
नेताजी  प्रदेश में
आपने क्या कार्य किया कुछ बतलाइए
बोले फिर नेताजी अरे बुरबक
ये जो 50  किलोमीटर सड़क बनवाई
कई पुल  बनवाए दिखता नहीं तुझे
पत्रकार ने फ़िर उछाला  एक तंज
जी वही सड़क नेताजी जिस पर अभी हुआ है
एक कन्या के साथ दुःसाहस ?
नेताजी ! ज़रा यहाँ लॉ  और आर्डर की
स्थिति पर नज़र दौड़ाइए कुछ बतलाइए
नेताजी बोले एक आध किस्सा तो इतने
बड़े प्रदेश में  चलता है
बाकि घर में लॉ ही नही
आर्डर भी
मेरी श्रीमती का ही चलता है
मनीषा 

Tuesday, August 2, 2016

इन्साफ को कुछ मरोङा है

इन्साफ को कुछ मरोङा है
इन्सान भी तो कुछ टेढ़ा है

शर्म मर गई आँखों की
आखिर हमने उसके कातिल को छोङा है
सबने सेकी अपनी रोटी
किस्सा कुछ तेरा कुछ मेरा है
वादों इरादों मे फिसल गए
दोष कुछ तेरा कुछ मेरा है
कौन उठाए अब गाँडीव
सबको रोटी के सवाल ने घेरा है
आज खबर है पहले पन्ने की
कल तुझे रद्दी में तुलना है
उस पर बीते वो जाने मेरी मैं
माफ कर मुझे नींद ने घेरा है
मनीषा