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Thursday, December 19, 2013

माँ न करना मेरा कन्या दान

माँ  न करना मेरा कन्या दान
मैं तेरी बेटी
तेरी कोख  की जाया
तेरी ही परछाई
जानती हूँ
हूँ मैं बाबा कि दुलारी
पर हर क्षण क्यों  कानों में सीसा  सा  घोलता है
इक तीर सा मन में चुभता है
बेटी तो होती है पराई
जहां जन्मी वो बिछौना  मेरा नही है
तेरे घर का कोई कोना क्यों मेरा नही है
भैया करता है लाड़
पर हर पल होता है अहसास
मेरा इस घर में क्यों अपना कोई नही है
तुम और बाबा बात करते हो
इसे तो अपने  घर ही जाना है
सजन का  घर जा सजाना है
चुटकी भर हल्दी से कर  पीले हाथ
छिन  जाएंगे इस जन्मभूमि से सारे  अधिकार
बाबा कहेंगे अब वो ही घर तेरा है
तुम कहोगी जैसा भी हो निभाना बेटी
बहु  साक्षात् लक्ष्मी बन जाना बेटी
इस द्वार आने के लिए भी सोच विचार करना होगा
जिस ड्योढ़ी पर खेली हूँ
उसका त्याग करना होगा
अगर न लगे वो घर अपना सा भी
तब भी निर्वाह करना होगा
बार बार तिरस्कृति जब भी वहाँ से लौटूंगी
तुम कहोगी तुझ पर मेरा अधिकार नहीं है
यह अब तेरा संसार नही है
लौ जा बेटी सब ठीक हो जाएगा
विश्वास कर इस जग में पूरा सुखी कोई नहीं है
युग युग से हम सब चुप रह कर सहती  आई है
सच मान  बेटी सही व्यवहार यही है
पिया का घर  ही तेरा है
वो माँग  माफ़ी फिर तुझे लिवाने आया है
जा बेटी लज्जित न कर जग में मुझे
अब तेरा निर्वाह वहीं है
माँ  न जन्म देना फिर मुझे
और  इतना ज़रूरी करना हो मेरा गौ सा दान
तब ही देना सुहाग का आशीर्वाद मुझे
'गर दे सको फि घर लौटने का सम्मान मुझे
छिपा कर अपने आँचल  में फिर कर सको दुलार मुझे
दिला सको फिर जीने का अधिकार मुझे
मेरे कतरे पँखो  पर मलहम  रख दे सको उड़ान मुझे
फिर अपने घर के इक हिस्से  में कर सको स्वीकार मुझे
जब कह सको तू मेरी  अपनी है नही है पराई
तब ही देना अपनी कोख पर अधिकार मुझे
माँ मत देना तू तब तक जन्म मुझे
माँ मत देना तू तब तक जन्म मुझे
जब कह सको कि पराया नहीं
आज भी यह घर यह कमरा तेरा है
माँ तब ही करना मान सम्मान से
मेहँदी लगा पिया संग विदा मुझे
पर ना करना  माँ  कभी गौ सा दान मुझे
माँ मत करना मेरा कन्या दान
माँ मत करना मेरा कन्या दान
by me Manisha

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