नाज़ था मुझे मेरी मोहब्बत पर
उस बेपरवाह से मगर उम्मीद थी कुछ कम
पूछा मैंने, उस से हंस कर
"याद भी करोगे कभी तुम मुझे,
मेरे जाने के बाद?"
उसने कहा , "कैसे?,
उसके लिए पहले मुझे तुम्हें भूलना होगा !"
उस बेपरवाह से मगर उम्मीद थी कुछ कम
पूछा मैंने, उस से हंस कर
"याद भी करोगे कभी तुम मुझे,
मेरे जाने के बाद?"
उसने कहा , "कैसे?,
उसके लिए पहले मुझे तुम्हें भूलना होगा !"
और आज तक नहीं भूली उसकी वो बात।