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Thursday, November 20, 2014

छोटा सा संसार था

छोटा सा संसार था
पैरों तले धरती
सिर पर तना आकाश था
तुम्हारे अंचल में
सब चिंताओं को विश्राम था 
कहाँ गया कहाँ गया।
प्यार भरी थाप थी
सुख भरी छाँव थी
स्नेह भरा व्यवहार था
स्वप्न सा संसार था
कहाँ गया कहाँ गया।
होठों पर मधुर गान था
नैनो में मृदु हास था
देहरी पर फैला तुमसे उजास था
स्वप्न सा संसार था
कहाँ गया कहाँ गया। …
प्रारब्ध पथ पर सदा संघर्ष था
संग साथ ना जीवन मीत था
ह्रदय में बसा अनुराग था
स्वप्न सा संसार था
कहाँ गया कहाँ गया। …
मनीषा
20/11/2014