तेरे पाँव के भंवर
तुझे थमने नही देते
मंज़िलों ने रोका तो तुझे बहुत था
तेरी मोहब्बत के भरम
मुझे किसी का होने नही देते
बड़ी शिद्द्त से चाहा तो मैंने भी बहुत था
मनीषा
तुझे थमने नही देते
मंज़िलों ने रोका तो तुझे बहुत था
तेरी मोहब्बत के भरम
मुझे किसी का होने नही देते
बड़ी शिद्द्त से चाहा तो मैंने भी बहुत था
मनीषा