अंगुली पकड़ चलना सिखाया
रोते रोते हँसना सिखाया
पाँव के झूले पर बोलना सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
रोते रोते हँसना सिखाया
पाँव के झूले पर बोलना सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
लोरी सुना सुना सोना सिखाया
कहानी कह कह कर खाना सिखाया
तो चपत लगा कर बाल गूथना सिखाया
कभी प्यार से तेल लगाना बताया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
कहानी कह कह कर खाना सिखाया
तो चपत लगा कर बाल गूथना सिखाया
कभी प्यार से तेल लगाना बताया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
बहला फुसला कर पढ़ना सिखाया
इक इक अक्षर बना लिखना सिखाया
चोरी से आँख दिखा कर से आदर सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
इक इक अक्षर बना लिखना सिखाया
चोरी से आँख दिखा कर से आदर सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
चूड़ी की खनक ताल पर रोटी बेलना सिखाया
हल्दी नमक मिर्च का सही अंदाज़ सिखाया
बन अन्नपूर्णा मिलता है जो सन्तोष सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
हल्दी नमक मिर्च का सही अंदाज़ सिखाया
बन अन्नपूर्णा मिलता है जो सन्तोष सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
जीवन संघर्षों से जूझना सिखाया
हार कर फिर फिर फिर जीतना सिखाया
मन का हौसला अपने ऊपर विश्वास सिखाया
अहं से ऊपर होता है सबसे प्यार सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
हार कर फिर फिर फिर जीतना सिखाया
मन का हौसला अपने ऊपर विश्वास सिखाया
अहं से ऊपर होता है सबसे प्यार सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
साँझ ढले तुलसी को जल घर को लौ देना सिखाया
मेरे विद्रोही मन को व्रत उपवास रीति रिवाज़ सिखाया
कभी प्यार से कभी डाँट से दुनियावी व्यहार सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
मनीषा
मेरे विद्रोही मन को व्रत उपवास रीति रिवाज़ सिखाया
कभी प्यार से कभी डाँट से दुनियावी व्यहार सिखाया
माँ ने सब सिखाया
सिर्फ अपने बिन जीना नहीँ सिखाया
मनीषा