सिर्फ इतना चाहिए था
बस तुमसे सिर्फ इतना चाहिए था
आसमां नहीं एक छत
धरती नही नर्म घास
एक घरोंदा आंचल सा
थोड़ी धूप थोड़ी छाया
पल भर थकन मिटाने का विश्राम
थोड़ा रो लेने को एक कांधा
थोड़ा मुस्कुराने का सामान
सुख दुःख बटते थोड़े
वादे इरादे होते थोड़े पूरे
कहाँ माँगा था तुमसे पूरा आसमान
बस तुमसे सिर्फ इतना चाहिए था
मनीषा
बस तुमसे सिर्फ इतना चाहिए था
आसमां नहीं एक छत
धरती नही नर्म घास
एक घरोंदा आंचल सा
थोड़ी धूप थोड़ी छाया
पल भर थकन मिटाने का विश्राम
थोड़ा रो लेने को एक कांधा
थोड़ा मुस्कुराने का सामान
सुख दुःख बटते थोड़े
वादे इरादे होते थोड़े पूरे
कहाँ माँगा था तुमसे पूरा आसमान
बस तुमसे सिर्फ इतना चाहिए था
मनीषा
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