बड़ी मुद्द्त में मुलाकात हुई ,फिर अपने आप से
मैं थी तेरी दुनिया के ताने बाने में उलझी हुई
वक्त की गर्दिशों में ,हुई वो कहाँ फ़ना
एक पत्थर पे थी मेरी भी इबारत खुदी हुई
मनीषा
मैं थी तेरी दुनिया के ताने बाने में उलझी हुई
वक्त की गर्दिशों में ,हुई वो कहाँ फ़ना
एक पत्थर पे थी मेरी भी इबारत खुदी हुई
मनीषा
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