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Monday, January 20, 2014

सिर्फ इतना चाहिए था

सिर्फ इतना चाहिए था 
बस तुमसे सिर्फ इतना चाहिए था 
आसमां नहीं एक छत 
धरती नही नर्म घास 
एक घरोंदा आंचल सा 
थोड़ी धूप थोड़ी छाया
पल भर थकन मिटाने का विश्राम
थोड़ा रो लेने को एक कांधा
थोड़ा मुस्कुराने का सामान
सुख दुःख बटते थोड़े
वादे इरादे होते थोड़े पूरे
कहाँ माँगा था तुमसे पूरा आसमान
बस तुमसे सिर्फ इतना चाहिए था
मनीषा

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