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Monday, August 18, 2014

कैसे भूलोगे

तुम भूलोगे हर बात 
मगर मन की खोली हर गाँठ कैसे भूलोगे 

आँखों ने पढ़े जो 
आँखों के भाव कैसे भूलोगे 

बिन शब्द की जो 
उस इक लम्हे हमने बात कैसे भूलोगे 

तुम कर लोगे हमारे बीच खड़ी कोई दीवार 
पर मन के ये एहसास कैसे भूलोगे

छुप कर तुम भी देखोगे मुझे दूर से
मेरा यह साथ कैसे भूलोगे

पूछोगे हौले से हर परिचित से मेरा हाल
मेरा यह गान कैसे भूलोगे
मनीषा

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