तुम भूलोगे हर बात
मगर मन की खोली हर गाँठ कैसे भूलोगे
आँखों ने पढ़े जो
आँखों के भाव कैसे भूलोगे
बिन शब्द की जो
उस इक लम्हे हमने बात कैसे भूलोगे
तुम कर लोगे हमारे बीच खड़ी कोई दीवार
पर मन के ये एहसास कैसे भूलोगे
छुप कर तुम भी देखोगे मुझे दूर से
मेरा यह साथ कैसे भूलोगे
पूछोगे हौले से हर परिचित से मेरा हाल
मेरा यह गान कैसे भूलोगे
मनीषा
मगर मन की खोली हर गाँठ कैसे भूलोगे
आँखों ने पढ़े जो
आँखों के भाव कैसे भूलोगे
बिन शब्द की जो
उस इक लम्हे हमने बात कैसे भूलोगे
तुम कर लोगे हमारे बीच खड़ी कोई दीवार
पर मन के ये एहसास कैसे भूलोगे
छुप कर तुम भी देखोगे मुझे दूर से
मेरा यह साथ कैसे भूलोगे
पूछोगे हौले से हर परिचित से मेरा हाल
मेरा यह गान कैसे भूलोगे
मनीषा
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