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Tuesday, January 1, 2013

नया साल 2013


आँसू भरे नयनों  से  कैसे करूँ नए  साल का स्वागत
क्या संकल्प लूँ  ,कैसे स्वीकार करूँ तुम्हारी  शुभकामनाएँ
गत साल भी तो ये ही किया था
उसकी पीड़ा अब भी तो बाकि है
जो पल खो दिए  उनका अफ़सोस करूँ
या जो अभी मिले ही नही उनकी आशा
इस पीड़ामयी रात में कैसे करूँ नए सवेरे कि  आशा
जिनके हाथो में चिराग हैं वो कहाँ है
जिनके स्वर में निहित आशा और विश्वास हो
वो कंठ कहाँ है
मनमे जो दर्प भर दे ऐसा उज्जवल गान कहाँ है
कानों  में अब नित दिन गूजाँ  करती उस मासूम की चीत्कार है
आँखों के अश्रु में निहित केवल उस माँ की विह्वल पुकार है
कहो कैसे जानू और क्यों कर मानू आया नया साल है
आंसू भरे नयनों  से  कैसे करूँ नए  साल का स्वागत
क्या संकल्प लूँ  ,कैसे स्वीकार करूँ तुम्हारी शुभकामनाएँ
मनीषा

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