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Tuesday, October 24, 2023

तन्हा तन्हा चलते रहे

 तन्हा तन्हा चलते रहे 

एक सफर से हम भी गुजरते रहे।

सुबह बुनते रहे कुछ रेशमी धागे

रात  भर गिरह खोलते रहे।।


ना समझा इश्क ने कभी हमें

ना हम समझ सके कभी इश्क को।

इस तरफ़ लिखते रहे हम खामोशियां

उस तरफ वो चुप्पियां सुनते रहे।।


हाथ थाम कर इस तरह बेबस किया

उन्होंने, हम ना किसी काबिल रहे।

इस तरह गुजरा उम्र का सफर

हम राह तकते रहे और वो आते ही रहे।।


मनीषा वर्मा


#गुफ़्तगू