मेरी डायरी के कुछ पन्ने
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
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Monday, January 14, 2013
रिश्ते कमाएँ हैं
गौर से देखो हाथ खाली नहीं हैं
जीवन भर बस रिश्ते कमाएँ हैं
जो मरने के बाद भी
साथ चलते हैं वो मेरे कर्मों के साए हैं
या रब देना तो बस इतना देना
न'अश पर मेरी
पराई आँखों में भी
एक आँसू छलक जाए
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