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Tuesday, February 6, 2018

सब हैं बस एक तुम नहीं हो

सब हैं बस एक तुम नहीं हो
रात के पहलू में जैसे चाँद नहीं हो
दरख्तों तले जैसे छाँव नहीं हो
बादलों में जैसे बरसात नहीं हो
सब हैं बस एक तुम ही नहीं हो

#गुफ्तगू
मनीषा वर्मा