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Tuesday, April 17, 2018

लाज़मी तो नहीं

उन्हे भी ख्याल हो तुम्हारा लाज़मी तो नहीं
इश्क मे ये जुनूं उन्हे भी हो लाज़मी तो नहीं

तुम तो बैठे हो हो कर  दुनिया से बेज़ार
वो आ कर पूछ ही लें खैरियत लाज़मी तो नहीं

तुम ने तो कर लिया अज़ीम यूं जान का सौदा
ये  गैरत उनमें भी हो लाज़मी तो नहीं

ख्वाब में जिनके लुटाए जाते हो दुनिया
करे वो भी तेरी आरज़ू लाज़मी तो नहीं

जाते हो जिनके दर लिए पैगाम ए दोस्ती
कर लें वो भी बातचीत से मसला हल लाज़मी तो नहीं

#गुफ्तगू

मनीषा वर्मा

Friday, April 13, 2018

जो सियासतदार थे

जो सियासतदार थे सियासत खेल गए
जिन्हें कानून बनाने थे वो मोमबत्तियां ले कर बैठ गए

धर्म के दावेदार हठधर्म ले कर टूट पड़े
जो कानूनदार थे वो पट्टी बांध इंसाफ तोल गए

जिन हाथों में बांधी थी राखियां वो गरेबाँ तक पहुंच गए
किससे करें शिकायत हाकिम ही जब अस्मत लूट गए

सभ्य समाज के सब ठेकेदार धृतराष्ट्र बन कर बैठ गए
ना आए अब कृष्ण बचाने लाज वो भी मूरत बन बैठ गए

मनीषा वर्मा