Pages

Saturday, September 11, 2021

एहसास

 कुछ रिश्ते दरकी हुई दीवारों के सहारे भी टिके रहते हैं

मां होती है इसलिए घर मंदिर बने रहते हैं।।


दरख़्त हैं तो साए भी इन राहों पर बने रहते हैं

घर के बुज़ुर्ग ही घर का पता देते हैं।।


सुनते नहीं हैं आजकल बच्चे कथा कहानियां

बात बात पर  उम्र का उलाहना देते हैं।।

 

मनीषा वर्मा


गुफ़्तगू

Friday, September 10, 2021

वो सदियों से प्यासा था

 सदियों से प्यासा था इसलिए

जमीं पर आग बो रहा है वो।


एक सूनी पगडंडी है उस तरफ

जहां से तूफान सा गुज़र रहा है वो।


सुनते नहीं हैं हुकुमरान हुंकार

इसलिए इतिहास लिख रहा है वो।


आसमां ने रची हैं कुछ ऐसी साजिशें

आज बारिशों को तरस रहा है वो ।


ईमान की बस बातें उसके हिस्से आई 

अपने हक के लिए तरस रहा है वो ।


क्रांति महलों के रास्ते नहीं आती

इसलिए खेतों में उग रहा है वो।


मनीषा वर्मा