रिश्ते
'गर ये न होते
तो पंछी सा
मन मेरा भी स्वतंत्र होता
अपनी श्रद्धा से
मोती या कंकर चुनता
काश! ये भूख न होती
प्यास न होती
न होती तड़प कुछ पाने
और खो देने की
क्या होता जो सिर्फ मैं होती
नर या नारी
कुछ ना होती
तब क्या तृप्ति होती ?
By me मनीषा
'गर ये न होते
तो पंछी सा
मन मेरा भी स्वतंत्र होता
अपनी श्रद्धा से
मोती या कंकर चुनता
काश! ये भूख न होती
प्यास न होती
न होती तड़प कुछ पाने
और खो देने की
क्या होता जो सिर्फ मैं होती
नर या नारी
कुछ ना होती
तब क्या तृप्ति होती ?
By me मनीषा
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