मैंने तुमसे मोती पाए
जीवन के इस संघर्ष में
रहे तुम एक सहज दिलासा
मैंने तुमसे मोती पाए
जब जब मुझे तम ने घेरा
तुमने मेरे पथ पर बिखेरा उजेला
मैंने तुमसे मोती पाए
थक कर चूर हो गई जब पाँखे
तुमने मेरे लिए आसमां झुकाए
मैंने तुमसे मोती पाए
बहुत दुर्गम थी मेरी राहें
तुमने मेरे हर पग मेरे छाले सहलाए
मैंने तुमसे मोती पाए
हमकदम कैसे कहूँ तुम्हें
जीवन के इस संघर्ष में
रहे तुम एक सहज दिलासा
मैंने तुमसे मोती पाए
जब जब मुझे तम ने घेरा
तुमने मेरे पथ पर बिखेरा उजेला
मैंने तुमसे मोती पाए
थक कर चूर हो गई जब पाँखे
तुमने मेरे लिए आसमां झुकाए
मैंने तुमसे मोती पाए
बहुत दुर्गम थी मेरी राहें
तुमने मेरे हर पग मेरे छाले सहलाए
मैंने तुमसे मोती पाए
हमकदम कैसे कहूँ तुम्हें
तुम हो अनजान, पराए
फिर भी इस दुर्गम पथ पर
तुमने मेरे सन्नाटे बुझाए
मैंने तुमसे मोती पाए।।
तुमने मेरे सन्नाटे बुझाए
मैंने तुमसे मोती पाए।।
मनीषा वर्मा
#गुफ्तगू
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