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Thursday, December 5, 2013

मन मीत

हुए  पथ अलग
अब चलती हूँ मन मीत
है पथ पथरीला
कुछ तुम्हारा
कुछ मेरा
फिर भी चलो
अपने अपने पथ पर
चलते हैं मनमीत
मुझे थामनी है
अपने इस रथ की कमान
तुम सम्भालो अपनी गांडीव
चलो चलते हैं
अपने अपने प्रशस्त पथ पर
हम और तुम मनमीत
तुम करो कर्त्तव्य पालन
मैं करती हूँ सप्तपदी के वचन पालन
अब बिछड़े
न जाने कब फिर ये पथ  मिलेंगे
चलो चलती हूँ मनमीत
मनीषा
शादी की  सालगिरह पर 

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