जीवन की इस आपाधापी में
बहुत कुछ है जो हाथ से छूट गया
कहाँ वक्त मिला जो दो पल मैं रुक पाता
एक बार मुड़ कर बीते पल जी पाता
आज कुछ लाना है, कल कही जाना है
जीविका भी तो कमाना है
इस उलझन में ही मेरा जीवन रीत गया
बहुत धूप थी मेरे आँगन में
ज्वलनशील था ये पथ मेरा
पल भर की छाँव ढूँढने में ही जीवन मेरा रीत गया
बहुत बार मन किया तुमसे बात करने का
बहुत बार मन को समझाया की कल करूंगा
आज व्यस्तता कुछ ज्यादा है
बढ़ते हाथों को रोक लिया फोन मिलाने से
काम बहुत अधिक था और समय बहुत कम मेरे पास
आज नहीं कल में जीवन मेरा रीत गया
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