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Friday, March 4, 2022

माँ

माँ ओढ़ लेती है धूप बारिश
और कर देती है  छाया 
पथरीली धरती और तुम्हारे बीच
रख देती है मृदुल नर्म गोद
जो माँ होती है बस माँ होती है
कभी मौसी कभी भाभी में होती है 
कभी बुआ कभी चाची बन जाती है
कभी बहन कभी बेटी हो जाती है
पर होती है  भीतर से बस माँ

#गुफ्तगू
मनीषा वर्मा



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