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Friday, March 4, 2022

भूल गए

 बड़ी बड़ी बातों में 

छोटे छोटे किस्से भूल गए


कुछ कथा कहानियाँ ऐसी थीं

जिनको लिखने बैठे तो

हम अपना पराया भूल गए 


बीते कल की  कुछ परछाइयों में 

और आते कल की उम्मीदों में

हम आज की खुशियाँ भूल गए 


जीने मरने की कसमों में 

चाँद तारों के वादों में

हम मोहब्बत की रस्में भूल गए 


खोने पाने की आरज़ू में 

जीने मरने की कशमकश में 

हम कदमों की थिरकन भूल गए


#गुफ्तगू

मनीषा वर्मा

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