बड़ी बड़ी बातों में
छोटे छोटे किस्से भूल गए
कुछ कथा कहानियाँ ऐसी थीं
जिनको लिखने बैठे तो
हम अपना पराया भूल गए
बीते कल की कुछ परछाइयों में
और आते कल की उम्मीदों में
हम आज की खुशियाँ भूल गए
जीने मरने की कसमों में
चाँद तारों के वादों में
हम मोहब्बत की रस्में भूल गए
खोने पाने की आरज़ू में
जीने मरने की कशमकश में
हम कदमों की थिरकन भूल गए
#गुफ्तगू
मनीषा वर्मा
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