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Friday, March 4, 2022

एक खत

 एक ख़त लिखूँ 

उसके नाम 

जो कभी पढ़ता  नहीं 

मेरे मन की बात

उसके लिए लिख रखूँ 

मैं हर वो बात 

जो वो सुनता नहीं 

लिख डालूँ हर वो 

बात बेबात 

मेरे दिन और रात 

जीवन की कदम ताल 

सांसों  की बारात 

एक एक पल की बात 

लिखूँ  उस चाँद की बात 

देखता है जो हमे 

अलग अलग 

हर रात 

लिखूं कैसे उस बिन 

आई रोज़ सुबह 

और कैसे हर घड़ी आई

 मुझे उसकी याद 

लिख दूँ उसे सब 

दिळ  की बात 

कैसे गुज़रे उसके  बिन 

ये दिन और साल 

जो सुनता नही 

अब मेरे क़दमों की थाप 


मनीषा वर्मा

#गुफ़्तगू

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