खाक़ हूँ ख़ाक़ में मिल जाऊँगी
छू नहीं पाओगे
हवाओं में बिखर जाऊँगी
आँख से तुम्हारी
पानी की तरह ढुलक जाऊँगी
मुझमें ही ढूँढना मुझको
अक्षर अक्षर में उभर आऊँगी
मनीषा
छू नहीं पाओगे
हवाओं में बिखर जाऊँगी
आँख से तुम्हारी
पानी की तरह ढुलक जाऊँगी
मुझमें ही ढूँढना मुझको
अक्षर अक्षर में उभर आऊँगी
मनीषा
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