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Monday, August 7, 2023

मुझे उस दर जाना भी नहीं है

 मुझे उस दर जाना भी नहीं है

पर मेरा ठिकाना भी वही है।

कर तो लूं किस्मत पर भरोसा

पर ये रास्ता पहचाना भी नहीं है।।

मुझे उस दर जाना भी नहीं है।

पर मेरा ठिकाना भी वहीं है।।


खंडहर है तो तब भी वो भी मेरा है

बीते दिनों का अफसाना भी वहीं है

कर तो दिया उसे नजर किसी और की

पर मेरा आशियाना भी वही है।।

मुझे उस दर जाना भी नहीं है

पर मेरा ठिकाना भी वहीं है।


लिख कर कर देती हूं जिस्म से दूर 

दर्द का कोई पैमाना तो नहीं है।।

कर तो लिया है पत्थर दिल 

पर ये फैसला मर्ज़ी मुताबिक भी नहीं है।।

मुझे उस दर जाना भी नहीं है

पर मेरा ठिकाना भी वहीं है।।


मनीषा वर्मा 

#गुफ़्तगू

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