Pages

Friday, September 10, 2021

वो सदियों से प्यासा था

 सदियों से प्यासा था इसलिए

जमीं पर आग बो रहा है वो।


एक सूनी पगडंडी है उस तरफ

जहां से तूफान सा गुज़र रहा है वो।


सुनते नहीं हैं हुकुमरान हुंकार

इसलिए इतिहास लिख रहा है वो।


आसमां ने रची हैं कुछ ऐसी साजिशें

आज बारिशों को तरस रहा है वो ।


ईमान की बस बातें उसके हिस्से आई 

अपने हक के लिए तरस रहा है वो ।


क्रांति महलों के रास्ते नहीं आती

इसलिए खेतों में उग रहा है वो।


मनीषा वर्मा 




No comments:

Post a Comment