जो सियासतदार थे सियासत खेल गए
जिन्हें कानून बनाने थे वो मोमबत्तियां ले कर बैठ गए
धर्म के दावेदार हठधर्म ले कर टूट पड़े
जो कानूनदार थे वो पट्टी बांध इंसाफ तोल गए
जिन हाथों में बांधी थी राखियां वो गरेबाँ तक पहुंच गए
किससे करें शिकायत हाकिम ही जब अस्मत लूट गए
सभ्य समाज के सब ठेकेदार धृतराष्ट्र बन कर बैठ गए
ना आए अब कृष्ण बचाने लाज वो भी मूरत बन बैठ गए
मनीषा वर्मा
जिन्हें कानून बनाने थे वो मोमबत्तियां ले कर बैठ गए
धर्म के दावेदार हठधर्म ले कर टूट पड़े
जो कानूनदार थे वो पट्टी बांध इंसाफ तोल गए
जिन हाथों में बांधी थी राखियां वो गरेबाँ तक पहुंच गए
किससे करें शिकायत हाकिम ही जब अस्मत लूट गए
सभ्य समाज के सब ठेकेदार धृतराष्ट्र बन कर बैठ गए
ना आए अब कृष्ण बचाने लाज वो भी मूरत बन बैठ गए
मनीषा वर्मा
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