क्या करूँ
कपड़ा तो अब भारत में ही बनता है
लेकिन गाँधी आज भी नग्न फिरता है
जय किसान का नारा आज भी सभाओं में गूंजता है
फिर भी किसान को मुआवज़े में २ रूपये का चेक मिलता है
रूप कुंवर को फूंक जो समाज पूजता है
वहाँ सती सावित्री होना सिर्फ दमन लगता है
जहां बिना मीडिया के दामिनी को हक़ नहीं मिलता है
उस समाज में जनांदोलन भी मज़ाक लगता है
हम बिना कागज़ी कार्यवाही के सरिता देवी इन्साफ नही दिला पाते हैं
विदेशों से अपमान बाँध ले आ आते हैं
दो अक्टूबर को झाड़ू लगाते नज़र आते हैं
लेकिन अपनी ही गंदगी नज़र बचा कोने में डाल आते हैं
गर्व से कहतें हैं मेरा देश महान है
फिर अपने ही आप को विश्व में शर्मिंदा कर आते हैं
मनीषा
कपड़ा तो अब भारत में ही बनता है
लेकिन गाँधी आज भी नग्न फिरता है
जय किसान का नारा आज भी सभाओं में गूंजता है
फिर भी किसान को मुआवज़े में २ रूपये का चेक मिलता है
रूप कुंवर को फूंक जो समाज पूजता है
वहाँ सती सावित्री होना सिर्फ दमन लगता है
जहां बिना मीडिया के दामिनी को हक़ नहीं मिलता है
उस समाज में जनांदोलन भी मज़ाक लगता है
हम बिना कागज़ी कार्यवाही के सरिता देवी इन्साफ नही दिला पाते हैं
विदेशों से अपमान बाँध ले आ आते हैं
दो अक्टूबर को झाड़ू लगाते नज़र आते हैं
लेकिन अपनी ही गंदगी नज़र बचा कोने में डाल आते हैं
गर्व से कहतें हैं मेरा देश महान है
फिर अपने ही आप को विश्व में शर्मिंदा कर आते हैं
मनीषा
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