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Tuesday, July 22, 2014

रेप हुआ रेप हुआ है

चीखो मत , चिल्लाओ मत
रेप हुआ है रेप हुआ है
गलती तुम्हारी है
चुप रह कर सिर्फ भुगतो तुम
चीखो मत सड़कों पर यूं बेकार में
रेप हुआ है रेप हुआ है

घर से बाहर क्यों निकली थी
इतनी ऊंची सेंडिल क्यों पहनी थी
स्कर्ट पहन कर घूमो तुम
टाइट जींस में इतराओ तुम
फिर क्यों चिल्लाओ तुम ही
रेप हुआ है रेप हुआ है

माना ओढ़नी तुमने ली थी
दादी तेरी साड़ी  ज़रा  कमर से  नीची  थी
बुर्के में ढका छिपा तुम्हारा अक्स बेहद लुभाऊ था 
कुरता घुटने से थोड़ा ऊंचा था 
चूड़ीदार किसने कहा  था पहनो तुम
अब चिल्लाओ चीखो मत
रेप हुआ है रेप हुआ है

सुबह 4 बजे खेतों में क्या करने गई थी
शाम 5 बजे कोई टाइम है घर आने का
भरी दोपहर में क्या ज़रूरी था बाज़ार जाना
12 बजे रात में क्यों नही सात तालों में सोयी थी
अब क्या होगा चीखने चिल्लाने से
रेप हुआ है रेप हुआ है

चलती हो तो कमर हिलती है
ये चोटी  तो घुटनो, तक लटकती है
बाल कटा कर फैशन करती हो
काजल लाली लिपस्टिक का शौक रखती हो
किसलिए इतना सजती हो
अब भुगतो तुम मत चिल्लाओ तुम
रेप हुआ है रेप हुआ है

बड़े मोबाइल ले कर निकलती हो
कालेज स्कूल के सपने देखती हो
बड़ी कम्पनी चलाओगी क्या तुम
मजूरी कर के कंधे से कंधा क्यों मिलाओगी  तुम
देखो कह  दिया था पछताओगी तुम
अब कैसे चीखो चिल्लाओगी  तुम
रेप हुआ है रेप हुआ है

 गलती तो हो जाती है बच्चों से
जवां खून है नसों में कर जाता नादानी है

बेचारे भोले है हैं चिकन मीट की गर्मी चढ़ जाती है
ये टीवी फिल्मे देख बिगड़ जाते हैं
मर्द तो आखिर बेलगाम घोड़े हैं
तुमको ही ख्याल रखना था
इस तरह घर में नही फिरना था
कुछ भारतीय संस्कारों  का भी ख्याल रखना था
अब चुप भी करो इस चीत्कार को
और बेइज़्ज़त न करो माँ -बाप को
रेप हुआ रेप हुआ है

हम अब इसमें कर ही क्या सकते है
तुम्हे नोचने मारने वाले तो मासूम बच्चे है
अबोध उम्र में जेल नही उन्हें दे सकते हैं
इसको तो ईश्वर भी नही रोक सकते हैं
गलती तो सिर्फ तुम्हारी है
पैदा होते न मारा हाँ  ये भूल ज़रूर हमारी है
अब चुप चाप कहीं डूब मरो तुम
बस बहुत हो चुका  मत बेफिजूल शोर करो तुम
अराजक मत बनो तुम मत चीखो चिल्लाओ तुम
रेप हुआ है रेप हुआ है
 मनीषा 

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