कितने रत्न पहनूं
कितने चिन्ह सजाऊं
चौखट पर
जो तुम आओ ।।
कहो तो, मंत्र जपूं और
तीर्थ कर आऊं नंगे पांव
जो तुम आओ।।
क्या वास्तु दोष है
या जाऊं किसी बामन से
पत्री बचवाऊं
जो तुम आओ ।।
नसीब का है
क्या ये खेला ?
क्या ये कोई साजिश है
दुनिया की?
करूं क्या उपाय
कि मेरी तकदीर में
जो तुम आओ।
मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू
बेहतरीन कविता
ReplyDeleteवाह! लाजवाब 👌
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteवाह! बहुत सुंदर सृजन।
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