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Thursday, June 19, 2014

देर कर के आने वाले मीत

देर कर के आने वाले मीत 
तुम लौट कर आए तो हो दस्तक देने 
पर इस खाली मकां में 
अब बचा ही क्या है 
खंडहर के सिवा 
जर्जर दीवारों को कितना 
सहलाओगे 
अब इन में रखा ही क्या है 
दरारों के सिवा 
पुकारते रहोगे नाम ले कर परिचय पुराने 
अब यहाँ बचा ही क्या है
सन्नाटों के सिवा

मनीषा

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