मेरी डायरी के कुछ पन्ने
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
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Saturday, November 5, 2011
कृष्णमय
मैं उसकी हुई इस जीवन मे जो मेरा हो कर भी मेरा नही है
मन मेरा मीरा भी राधा भी
कृष्ण सबके हो के भी ना मीरामय मे ना राधामय
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