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Tuesday, January 16, 2018

लेखनी तुम लिखती रहना

लेखनी तुम लिखती रहना
मन की आवाज़ को शब्दों में रचती रहना
शमशीर तले अपमान शीश धरे
तुम चलती रहना
जब तलक प्राण स्याही रहे
शारदा चरणों में पुष्प अर्पित करती रहना
लेखनी तुम लिखती रहना

बाल मुस्कान विधी का विधान
माँ का आशीष बूढ़ी आँखो का दीप
हरि की लीला हृदय की पीड़ा
तुम गाती रहना
जब तलक नोक में धार रहे
जगती का लेखा तुम अंकित करती रहना
लेखनी तुम लिखती रहना

#गुफ्तगू
मनीषा

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