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Wednesday, December 5, 2012

जीवन मेरा रीत गया

जीवन की इस आपाधापी में 
बहुत कुछ है जो हाथ से छूट  गया 
कहाँ वक्त मिला जो दो पल मैं रुक पाता 
एक बार मुड़ कर बीते पल जी पाता 
आज कुछ लाना है, कल कही जाना है 
जीविका भी तो कमाना है 
इस उलझन में ही मेरा जीवन रीत गया 
बहुत धूप थी मेरे आँगन में 
ज्वलनशील था ये पथ मेरा 
पल  भर की छाँव ढूँढने  में ही जीवन मेरा रीत गया 
बहुत बार मन किया तुमसे बात करने का 
बहुत बार मन को समझाया की कल करूंगा 
आज व्यस्तता कुछ ज्यादा है 
बढ़ते हाथों को रोक लिया फोन मिलाने से  
काम बहुत अधिक था और समय बहुत कम मेरे पास 
आज नहीं कल में जीवन मेरा रीत गया 

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