Pages

Wednesday, January 15, 2025

सिर्फ इतना चाहिए था

 सिर्फ इतना चाहिए था

बस तुमसे सिर्फ इतना चाहिए था
आसमां नहीं एक छत
धरती नही नर्म घास
एक घरोंदा आंचल सा
थोड़ी धूप थोड़ी छाया
पल भर थकन मिटाने का विश्राम
थोड़ा रो लेने को एक कांधा
थोड़ा मुस्कुराने का सामान
सुख दुःख बटते थोड़े
वादे इरादे होते थोड़े पूरे
कहाँ माँगा था तुमसे पूरा आसमान
बस तुमसे सिर्फ इतना चाहिए था
मनीषा वर्मा

No comments:

Post a Comment