Pages

Wednesday, January 15, 2025

कभी अकेले बैठो तो

 कभी अकेले बैठो तो

ध्यान से देखना आस पास
ये सुकून ये शांति बस
तभी तलक है जब तक
किसी के भीतर की नफरत
उबल कर सड़कों और चौराहों
पर फैल नहीं जाती।
तुम हो तो मालिक सारे जहान के
पर मोहताज तो हो
हुकूमतों की साजिशों
और सदियों की राजनीति के
तुम्हारे कांधे पर चढ़ कर
नफरत का पिचाश
कहानी कह रहा है
और तुम चुप हो सुनते हुए
सच और झूठ सब
तुम्हारे बोलने पर ही तो ये
जहां से आया है वहीं जाएगा
वरना सिर चढ़ कर कानों में
केवल जहर ही उगलेगा
और स्वाह कर देगा
तुम्हारा शहर तुम्हारा मकान
तुम्हारा वंश
और तुम गिरी मीनारों के मलबों में
अपनों की कब्र
बनाते रह जाओगे।
मनीषा वर्मा

No comments:

Post a Comment