मेरी डायरी के कुछ पन्ने
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
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Wednesday, April 23, 2014
हर इक आँख नाम है यहाँ
हर इक आँख नाम है यहाँ
हर दिल में कुछ गम हैं यहाँ
हर शख्स मुस्कुरा के मिलता है यहाँ
तन्हाईयों का दर्द से रिश्ता है यहाँ
मनीषा
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