मेरी डायरी के कुछ पन्ने
माटी कहे कुम्हार से तू क्या रुँधे मोए इक दिन ऐसा आयेगा मैं रुँधूगी तोए
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Sunday, September 7, 2014
शिकवा करूँ तो
शिकवा करूँ तो
उन पाक़ अहसासों की तौहीन होगी
अश्क़ रोक लेती हूँ
आँख से ढुलके तो उसको शिकायत होगी
मनीषा
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