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Wednesday, September 17, 2014

पथ पर चरण बढ़ाओ

पथ पर चरण बढ़ाओ भविष्य तुम्हारा है
तुम हो नव अंकुर कल का वसंत तुम्हारा है

कोटि कोटि मानस में
जीवन तुम जगाना
बंजर इस भूमि पर
आस पुष्प तुम खिलाना

उगते रवि की किरणों सी
आभ  हो तुम्हारी
कर्म करना वही
दोहराए जिसे संतति

फैले जग में तुम्हारा नाम
तुम बनो भारत की शान
आशीष रहे गुरूजन का
नाम रहे तुमसे कुलवंश का

मनीषा 

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