पथ पर चरण बढ़ाओ भविष्य तुम्हारा है
तुम हो नव अंकुर कल का वसंत तुम्हारा है
कोटि कोटि मानस में
जीवन तुम जगाना
बंजर इस भूमि पर
आस पुष्प तुम खिलाना
उगते रवि की किरणों सी
आभ हो तुम्हारी
कर्म करना वही
दोहराए जिसे संतति
फैले जग में तुम्हारा नाम
तुम बनो भारत की शान
आशीष रहे गुरूजन का
नाम रहे तुमसे कुलवंश का
मनीषा
तुम हो नव अंकुर कल का वसंत तुम्हारा है
कोटि कोटि मानस में
जीवन तुम जगाना
बंजर इस भूमि पर
आस पुष्प तुम खिलाना
उगते रवि की किरणों सी
आभ हो तुम्हारी
कर्म करना वही
दोहराए जिसे संतति
फैले जग में तुम्हारा नाम
तुम बनो भारत की शान
आशीष रहे गुरूजन का
नाम रहे तुमसे कुलवंश का
मनीषा
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