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Monday, September 29, 2014

मेरी खिड़की पर पल भर चाँद टाक दो

मेरी खिड़की पर पल भर चाँद टाक दो
एक चाँद थोड़ी चांदनी
मेरे आंगन में श्वेत आभास
पीपल की टहनियों पर अटक जाए
थोड़ा शर्माए थोड़ा रिझाए
कुछ बतियाए
मुझे गज भर आकाश दो

नरम पुरवाई को पैजनियाँ बांध दो
 मृदु हास  थोड़ा सा प्यार
गुनगुनाती पवन  की प्यार भरी थाप
रूह में बांसुरी कोई  गुनगुनाए
दिल भरमाए कुछ सुनाए
मुझे एक गीत उधार दो

मेरे ख्वाबों को इक पल आँखे उधार दो
एक  आस थोड़ी सी प्यास
गहरी  नींद पल भर का साथ
वो एक आंसू जो पलकों में मुस्कुराए
इन थके पंखो  में उड़ान  उतर आए
पाँव में आज मेरे बादल उतार दो

मनीषा

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