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Wednesday, February 26, 2014

तुम इंतज़ार करना

इस जीवन घट के दर्पण में
सिर्फ  तुम्हारा ही अक्स नज़र  आता है
मेरे जीवनकी मरुस्थली में
तुम
एक वटवृक्ष से खड़े हो
हर पल अपनी डालियों में समेटे
प्यार कि छाया देते तुम
जीवन मीत  का अहसास देते तुम
खड़े हो
गौर करती हूँ कभी तो लगता है
इस जीवन सरिता का सागर तुम हो
पर
यात्रा अभी अधूरी है ,
मुझे अपने किनारों
की तृषा मिटानी है
औ' तुम्हे संसार में अमृत बरसाना है
हम तय कर रहे हैं अपना अपना यह सफ़र
इंतज़ार शायद लम्बा हो जाए
हो सकता है सांझ हो जाए
पर याद रखना
हर रात सुबह का पैगाम होती है
फिर सरिता को तो विलीन होना ही सागर में
चाहे अमावस छ  जाए
तुम इंतज़ार करना
 बहता पानी
चट्टानों में भी  राह  खोज लेता है
जानती हूँ तुम चाँद को देख कर बेसब्र हो जाओगे
पर सुबह आने पर
तुम्हारे चेहरे की धीर मुस्कान
मेरे मन दर्पण में भी झलकेगी
इस आसर संसार में
वह  मूक मुस्कान
जो तुम्हारी और मेरे आँखों में दमकेगी
हमारे इस  मिलन का द्योतक होगी
इसलिए साथी तुम इंतज़ार करना
विश्वास करना
मेरे आने का
तुम में विलीन होने का
तुम इंतज़ार करना

मनीषा 

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