उसके छोटे से घर में छोटे छोटे पहिए लगे थे
चमकती आँखों में कितने सपने सजे थे
धूप से चेहरा लाल था
हाल बहुत बेहाल था
पर उमंगों में वह खुश था
कितना प्यारा था
स्वप्न सा सुंदर उसका घर था
गुड़िया का सुंदर घर
छोटी छोटी खिड़कियों पर
चुनरी के पर्दे वाला घर
उसका मन उमड़ आया
उसने लपक कर डोर को उठाया
और दौड़ चला वह सड़क पर
पीछे पीछे चला डगमग डगमग उसका छोटा सा घर
तभी खा ठोकर बिखरा उसका गत्ते की खिड़कियों वाला घर
बिखरा ताश के पत्तों सा वह प्यारा घर
बचपन हुआ परेशां रुआँसा ढुलके आँसू गालों पर
बदली तभी छा गई , सूरज को घटा खा गई
भीगता वह आया अपने घर
माँ को घर बुहारते पाया
कमरे में घुटनों तक पानी पाया
टूटी छत रिस रही थी, छोटी बहन पालने में रो रही थी
उसके रोते चेहरे को देखा , हाथ में टूटी डोरी को देखा
माँ ने समझा बिन पूछे ही
छोटी को चुप कराते वो बोली
बेटा स्वप्न हमेशा टूटा ही करते हैं
बहादुर बच्चे नहीं रोया करते हैं
अपना संसार यही है
घर द्वार यही है
टूटे छप्पर वाला टूटा फूटा घर
कल आने दे फिर चिपकाएंगे
तेरा सपने जैसा घर
आज तू टपकती इस छत के नीचे
ज़रा बाल्टी तो रख
चल बेटा आँसू पोंछ
ज़रा माँ की मदद तो कर
मनीषा
चमकती आँखों में कितने सपने सजे थे
धूप से चेहरा लाल था
हाल बहुत बेहाल था
पर उमंगों में वह खुश था
कितना प्यारा था
स्वप्न सा सुंदर उसका घर था
गुड़िया का सुंदर घर
छोटी छोटी खिड़कियों पर
चुनरी के पर्दे वाला घर
उसका मन उमड़ आया
उसने लपक कर डोर को उठाया
और दौड़ चला वह सड़क पर
पीछे पीछे चला डगमग डगमग उसका छोटा सा घर
तभी खा ठोकर बिखरा उसका गत्ते की खिड़कियों वाला घर
बिखरा ताश के पत्तों सा वह प्यारा घर
बचपन हुआ परेशां रुआँसा ढुलके आँसू गालों पर
बदली तभी छा गई , सूरज को घटा खा गई
भीगता वह आया अपने घर
माँ को घर बुहारते पाया
कमरे में घुटनों तक पानी पाया
टूटी छत रिस रही थी, छोटी बहन पालने में रो रही थी
उसके रोते चेहरे को देखा , हाथ में टूटी डोरी को देखा
माँ ने समझा बिन पूछे ही
छोटी को चुप कराते वो बोली
बेटा स्वप्न हमेशा टूटा ही करते हैं
बहादुर बच्चे नहीं रोया करते हैं
अपना संसार यही है
घर द्वार यही है
टूटे छप्पर वाला टूटा फूटा घर
कल आने दे फिर चिपकाएंगे
तेरा सपने जैसा घर
आज तू टपकती इस छत के नीचे
ज़रा बाल्टी तो रख
चल बेटा आँसू पोंछ
ज़रा माँ की मदद तो कर
मनीषा
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