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Monday, January 20, 2014

इबारत

बड़ी मुद्द्त में  मुलाकात हुई ,फिर अपने आप  से
मैं थी तेरी दुनिया के ताने बाने में उलझी हुई
वक्त की गर्दिशों में ,हुई वो कहाँ फ़ना
एक पत्थर पे थी मेरी भी इबारत खुदी हुई
 मनीषा

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