उम्र कुछ ढलने लगी है
रफ्तार कदमों की थमने लगी है
उठ बैठ अब होती नहीं
चपलता अब सोहती नहीं
कहते हैं सब थोड़ा आराम करो
दिन भर मत इतना काम करो
मन को पंख अब भी लगे हैं
चाहतों की उड़ान अभी अधूरी है
रंग अभी जिंदगी के कैनवस पर भरने बाकी हैं
कैसे थाम लें अपनी उमंगों को
अभी तो जिंदगी की शाम बाकी है।।
मनीषा वर्मा
#गुफ़्तगू
ज़िन्दगी को आनंदित हो कर जियें । लाजवाब
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteखूब 👌👌👌😊
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद
ReplyDeleteआपका धन्यवाद
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