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Friday, September 9, 2022

ढलती उम्र

 उम्र कुछ ढलने लगी है 

रफ्तार कदमों की थमने लगी है

उठ बैठ अब होती नहीं

चपलता अब सोहती नहीं

कहते हैं सब थोड़ा आराम करो

दिन भर मत इतना काम करो

मन को पंख अब भी लगे हैं

चाहतों की उड़ान अभी अधूरी है

रंग अभी जिंदगी के कैनवस पर भरने बाकी हैं

कैसे थाम लें अपनी उमंगों को

अभी तो जिंदगी की शाम बाकी है।।


मनीषा वर्मा 

#गुफ़्तगू 


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