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Monday, February 27, 2012

रौशनी पकड़ना चाहते हो


रौशनी पकड़ना चाहते हो ,
तो अपनी उँगलियाँ फैला दो
बंद मुठ्ठी  में अंधेरो के सिवा कुछ न पाओगे 
ख्वाहिश है अगर 
आसमान को छूने की 
धरा में अपने पांव बो दो वृक्ष सा उग जाओगे
समुद्र पी जाना चाहो अगर
तो मरुस्थल कि प्यास भी रखो
अन्यथा मन के भीतर 
थुलथुले सरोवर के सिवा कुछ न पाओगे
सच कहने कि चाह  रखते हो अगर तो
सच सुनने कि ताब भी रखो 
धरती में  चेहरा छुपाओगे  तो 
तप्त पत्थरों और आग के सिवा 
कुछ न पाओगे

अनायास मिले उस अजनबी के नाम जो मुझे सूरज दिखा गया 

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