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Sunday, July 6, 2014

ख्वाब जा बैठे तेरे पहलू में

आज भी दिन गुज़र गया
तेरे इंतज़ार में
फिर रात , ख्वाब जा बैठे
तेरे पहलू   में


लाऊँ कहाँ से दिल की तस्सलियाँ
तेरे बिन जो चेहरे पे खिल जाएँ
रोज़ रोज़ वो झूटी खुशियाँ
आँखों में पढ़ लेती हैं मेरी सखियाँ
मेरे दिल की मायूस कहानियाँ


मनीषा 

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