अंधे को अँधा मत कहिए बुरा लगता है
लंगड़े को लंगड़ा मत कहिए बुरा लगता है
चोर को चोर मत कहिए बुरा लगता है
सच को लगा दीजिए ज़रा चुप बुरा लगता है
साहस को भरिए जेल में ठूंस बुरा लगता है
हार को न कहिए हार बुरा लगता है
मुंह छुपा गई सब नीतियां बुरा लगता है
मनाइए अपनी ही मौत पर जश्न बुरा लगता है
आवाम लगा गई चुप बुरा लगता है
मनीषा
लंगड़े को लंगड़ा मत कहिए बुरा लगता है
चोर को चोर मत कहिए बुरा लगता है
सच को लगा दीजिए ज़रा चुप बुरा लगता है
साहस को भरिए जेल में ठूंस बुरा लगता है
हार को न कहिए हार बुरा लगता है
मुंह छुपा गई सब नीतियां बुरा लगता है
मनाइए अपनी ही मौत पर जश्न बुरा लगता है
आवाम लगा गई चुप बुरा लगता है
मनीषा
No comments:
Post a Comment