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Friday, May 9, 2014

सच कुछ भी तो नहीं चाहा था

ये तो नहीं  सोचा  था
यूँ  चुप हो जाना
बातों  में टाल जाना
न मुस्कुराना
न पास आना
इस तरह भूल जाना
ये तो नहीं  सोचा  था
कुछ तो नहीं  माँगा था
एक सच सा  रिश्ता
एक छोटा सा सपना
कुछ प्यारी सी बातें
मान मनुहार
बस कुछ तो नहीं  माँगा था
लेकिन तुमसे इतना तो चाहा था
चलते चलते  फिर मिलने का वादा न सही
मुस्कुरा कर एक अलविदा तो कहते
सच कुछ भी तो नहीं चाहा था




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